Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -21-Aug-2022 एक साहित्यकार का मकसद

लेखिका-प्रियंका भूतड़ा
विषय-मकसद
शीर्षक- एक साहित्यकार का मकसद

मैं हूं एक साहित्यकार,
विचार लिखती कल्पनात्मक,
पर होते भावनात्मक,
लिखती हूं रचनात्मक,
समाज का करती हूं सर्जनात्मक,
राजनीतिक आर्थिक सामाजिक का करती हूं समीक्षाकरण।

मैं हूं एक साहित्यकार।

कोई लिखता गद्य तो कोई लिखता पद्य,
 मैं लिखती हूं गद्य ,
गद्य  करती हूं व्यंग।

मैं हूं एक साहित्यकार,
कोरे पन्ने पर  सुशोभित करती हूं अलंकृत,
कोरे पन्ने को करती हूं श्रृंगार कृत,
हास्य रस लिखकर कभी हंसाती,
कभी भी वीररस लिख कर वीरता दर्शाती,
कभी श्रृंगार रस लिखकर प्रियतम को लुभाती,
मनोरंजन कविता लिखकर बच्चों का मनोबल बढ़ाती,
ऐसी है मेरी कलम की अदाकारी।

मैं हूं एक साहित्यकार,
साहित्यकार का होता यही मकसद,
उनके भावो में हो ऐसा प्रबल,
हर व्यक्ति को बनाएं सशक्त,
साहित्यकार से बदलता है जन,
उन्हीं के विचारों से उत्पन्न होती तरंग,
जीवन हो उनका प्रसन्न।

मैं हूं एक साहित्यकार,
साहित्य का आधार होता उनका जीवन,
साहित्य से उत्पन्न होता विश्व बंधुत्व,
पढ़ उनकी भावनाओं से,
व्यक्ति और समाज होता संस्कारित,
युग चेतना का करता साक्षात्कार,
जिससे बढ़ती साहित्य की प्रासंगिकता।

मैं हूं एक साहित्यकार।

मेरी कलम है मेरा शस्त्र,
कोरा कागज का है अस्त्र,
बिना धार के करे वार,
मेरा साहित्य जीवन का सार,
मेरी कलम को करती हूं मैं बारंबार प्रणाम,
जो देती मुझे लिखने का आसार।


"मेरा है एक ही मकसद,
समाज तक पहुंचे मेरी कलम,
समाज का करूं मैं उत्थान,
ऐसी हो मेरी कलम की आवाज।
तभी कह लाऊं मैं एक साहित्यकार।।

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12 Comments

Punam verma

22-Aug-2022 09:06 PM

Very nice

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Pankaj Pandey

22-Aug-2022 02:59 PM

Behtarin rachana

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